कौन था वो योद्धा जिससे हनुमान जी हारे थे

 हिंदू धर्म में सबसे शक्तिशाली योद्धा हनुमान और गांधारी पुत्र भीम है कई हजार हाथियों जितना बल रखने के बावजूद भी भीम को एक बार हनुमान जी से हारना पड़ा था क्या आपको पता है हनुमान जी को एक बार युद्ध में हारना पड़ा था

हमारे धार्मिक ग्रंथों में हनुमान जी को सबसे शक्तिशाली योद्धा बताया गया है वह अकेले एक ऐसे युद्ध थे जिसने राम और रावण के बीच हुए युद्ध में थोड़ी सी भी क्षति नहीं पहुंची थी हिंदू महाकाव्यों में हनुमान जी के बारे में ऐसे कई उल्लेख मिल जाएंगे जिससे यह पता चलता है कि वह कितने पराक्रमी थे  आपको हनुमान और बाली के बीच हुए युद्ध के बारे में पता होगा जिसके बाद बाली ने कई मील तक दौड़ने के बाद अपनी जान बचाई थी बाली को इस बात का घमंड हो गया था कि वह विश्व के किसी भी योद्धा को हरा सकता है 



बाली ने दिया हनुमान को युद्ध के लिए चुनौती

एक दिन हनुमान वन में तपस्या कर रहे थे उसी समय बाली वहां पहुंचा हनुमान जी की तपस्या को भंग करने लगा संकट मोचन हनुमान को बाली बार-बार युद्ध की चुनौती देने लगा लेकिन हनुमान जी ने बाली के चुनौती पर ध्यान नहीं दिया  तभी बाली ने हनुमान जी से कहा तुम जिस की तपस्या में इतने मग्न हो मैं उसे भी हरा सकता हूं यह सुनकर के हनुमान जी क्रोधित हो गए और उन्होंने बाली के दिए हुए चुनौती को स्वीकार कर लिया फिर दोनों के बीच यह निश्चय हुआ कि वह अगले दिन युद्ध के मैदान में मिलेंगे युद्ध से पहले ही ब्रह्मा जी हनुमान के सामने प्रकट हुए ब्रह्मा जी ने हनुमान से यह युद्ध ना करने के लिए निवेदन किया परंतु हनुमान जी ने यह कह कर मना कर दिया की बात मेरे प्रभु श्री राम की है इसलिए मुझे यह युद्ध लड़ना ही पड़ेगा

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ब्रह्मा जी ने हनुमान से कहा कि तुम अपनी शक्ति में से दसवां हिस्सा ही लेकर के जाना फिर ब्रह्मा जी ने यह कहा तुम अपनी शक्ति अपने प्रभु के चरणों में समर्पित कर दो हनुमान जी ने ब्रह्मा जी की बात मान ली और फिर वह दसवा हिस्सा लेकर के बाली से युद्ध करने के लिए चले गए वरदान के अनुसार जैसे ही हनुमान जी बाली के समक्ष आए उनके शरीर का आधार शक्ति बाली के अंदर समा गया जिससे बाली को अपने शरीर में अपार शक्ति का एहसास होने लगा थोड़ी देर के बाद उसे ऐसा लगने लगा कि उसके शरीर की सारी नसें फट जाएगी उसी वक्त ब्रह्मा जी एक बार फिर बाली के समक्ष प्रकट हुए और उन्होंने बाली से कहा यदि तुम खुद को सुरक्षित रखना चाहते हो तो तुम्हें हनुमान से दूर भागना चाहिए 

बाली ने ऐसा ही किया और फिर वह भागने लगा कई मिल दौड़ने के बाद ब्रह्मा जी एक बार फिर बाली के सामने प्रकट हुए और उन्होंने बाली से कहा कि तुम्हें अपनी शक्ति पर घमंड था  तुम दुनिया में अपने आप को सबसे शक्तिशाली समझते थे लेकिन तुम्हारा शरीर हनुमान की शक्ति का थोड़ा सा भी हिस्सा नहीं संभाल पाया यह सुनकर के बाली को अपनी गलती का एहसास हुआ और फिर उसने हनुमान से माफी मांगी 

अब हम आपको बताने वाले हैं उस पराक्रमी योद्धा के बारे में जिसने हनुमान के सर्वश्रेष्ठ योद्धा होने का घमंड चूर चूर कर दिया था पुराणों में मिलने वाली एक कथा के अनुसार मच्छिंद्रनाथ नाम के एक बहुत बड़े तपस्वी हुआ करते थे एक बार वह रामेश्वरम पहुंचे जहां पर श्रीराम ने रामसेतु का निर्माण किया था श्री राम के द्वारा बनाया हुआ रामसेतु देख कर के वह अत्यंत प्रसन्न हो गए उसके बाद वह नदी के किनारे बैठ कर के श्रीराम का ध्यान करने लगे तभी वहां से गुजर रहे हनुमान की नजर मछिंद्रनाथ पर पड़ी भगवान हनुमान जाते थे कि मछिंद्रनाथ कितने बड़े तपस्वी हैं

उसके बाद भी भगवान हनुमान ने मछिंद्रनाथ का परीक्षा लेने के बारे में सोचा यह सोच कर के भगवान हनुमान ने अपनी लीला आरंभ देते हैं भगवान हनुमान ने अपनी शक्ति से चारों ओर वर्षा करने लगे वर्षा से बचने के लिए हनुमान ने एक पहाड़ पर वार करना शुरू कर दिया जिससे वह पहाड़ से गुफा बना सके हनुमान जी ने यह जानबूझकर के किया था जिससे कि मछिंद्रनाथ का ध्यान टूट जाए और ऐसा हुआ भी कुछ देर बाद मछिंद्रनाथ की नजर हनुमान जी पर पड़ी जो पहाड़ पर वार कर रहे थे 

यह देख कर के मछिंद्रनाथ ने हनुमान जी से कहा वानर तुम यह मूर्खता क्यों कर रहे हो प्यास लगने पर कुआं नहीं बल्कि पानी खोजा जाता है वर्षा से बचने के लिए तुम गुफा की बजाए एक सुरक्षित स्थान भी खोज सकते हो यह सुनकर के वानर रूप हनुमान जी ने मछिंद्रनाथ से पूछा आप कौन है जिस पर मछिंद्रनाथ ने अपने बारे में बताया मैं एक सिद्धि योगी हूं और मुझे मंत्र शक्ति याद है यह सुनकर के हनुमान जी ने कहा वैसे तो प्रभु श्री राम और  हनुमान सर्वश्रेष्ठ योद्धा है परंतु कुछ समय उनकी सेवा करने के बाद उन्होंने मुझसे प्रसन्न होने के बाद अपनी शक्ति का कुछ हिस्सा मुझे भी दे दिया है

यदि आप सबसे  शक्तिशाली और सिद्ध योगी है तो फिर मुझे हराकर दिखाएं तब मैं आपके बात पर विश्वास करूंगा उसके बाद वानर और मछिंद्रनाथ के बीच युद्ध शुरू हो गया हनुमान जी ने कई पहाड़ों से मछिंद्रनाथ के ऊपर प्रहार किया लेकिन मछिंद्रनाथ ने सभी पहाड़ों को अपने स्थान पर सुरक्षित रख दिया उसके बाद मछिंद्रनाथ ने अपने एक ही बार में हनुमान जी को अपने स्थान पर खड़ा होने पर मजबूर कर दिया ऐसा होते ही हनुमान जी अपने स्थान पर जम गए और वह चाह कर भी ना हिल सके थोड़ी ही देर में हनुमान जी की सारी शक्तियां खत्म हो गई यह देख कर के उनके पिता वायु देव वहां पर पहुंचे और उन्होंने मछिंद्रनाथ से हनुमान जी को क्षमा करने का अनुरोध किया

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