प्रभु श्री राम और हनुमान के भक्ति के बारे में तो सभी जानते हैं परंतु ऐसा क्या हुआ जिसके कारण प्रभु श्री राम हनुमान जी को मौत के घाट उतारने के लिए तैयार हो गए ?
महाभारत से जुड़ी कई सारी कथाएं आप सभी ने सुना होगा एक बार संत और ब्राह्मण गण सभा में उपस्थित हुए देव ऋषि नारद वशिष्ठ विश्वामित्र जैसे महान लोग उस सभा में चर्चा करने के लिए उपस्थित हुए थे राम का नाम राम के अस्तित्व से बड़ा है संकट मोचन हनुमान उस सभा में उपस्थित थे परंतु वह कुछ कह नहीं रहे थे वह बहुत ही ध्यान से सभा में ऋषि मुनियों की बातें सुन रहे थे देव ऋषि नारद का यह कहना था कि प्रभु श्री राम का नाम स्वयं प्रभु श्री राम के नाम से बड़ा है यह साबित करने का उन्होंने दावा किया था ।
जब सभा खत्म हो गई तो सारे ऋषि-मुनियों ने वहां से जाने का निर्णय लिया तभी चुपके से देव ऋषि नारद ने हनुमान जी से कहा सभी ऋषि मुनि का स्वागत करने के लिए केवल विश्वमित्र को छोड़ कर देव ऋषि नारद का यह कहना था कि विश्वमित्र एक राजा है जब सारी ऋषि मुनि एक-एक करके जाने लगे तो हनुमान जी ने सभी का अभिनंदन किया परंतु देव ऋषि नारद ने जैसा हनुमान जी को समझाया था हनुमान जी ने विश्वमित्र को जानबूझकर अनदेखा कर दिया था अपना घोर अपमान होता देख कर के विश्वमित्र ने प्रभु श्रीराम से यह वचन लिया कि हनुमान को मृत्युदंड देने का वचन लिया
महाभारत से जुड़ी कई सारी कथाएं आप सभी ने सुना होगा एक बार संत और ब्राह्मण गण सभा में उपस्थित हुए देव ऋषि नारद वशिष्ठ विश्वामित्र जैसे महान लोग उस सभा में चर्चा करने के लिए उपस्थित हुए थे राम का नाम राम के अस्तित्व से बड़ा है संकट मोचन हनुमान उस सभा में उपस्थित थे परंतु वह कुछ कह नहीं रहे थे वह बहुत ही ध्यान से सभा में ऋषि मुनियों की बातें सुन रहे थे देव ऋषि नारद का यह कहना था कि प्रभु श्री राम का नाम स्वयं प्रभु श्री राम के नाम से बड़ा है यह साबित करने का उन्होंने दावा किया था ।
जब सभा खत्म हो गई तो सारे ऋषि-मुनियों ने वहां से जाने का निर्णय लिया तभी चुपके से देव ऋषि नारद ने हनुमान जी से कहा सभी ऋषि मुनि का स्वागत करने के लिए केवल विश्वमित्र को छोड़ कर देव ऋषि नारद का यह कहना था कि विश्वमित्र एक राजा है जब सारी ऋषि मुनि एक-एक करके जाने लगे तो हनुमान जी ने सभी का अभिनंदन किया परंतु देव ऋषि नारद ने जैसा हनुमान जी को समझाया था हनुमान जी ने विश्वमित्र को जानबूझकर अनदेखा कर दिया था अपना घोर अपमान होता देख कर के विश्वमित्र ने प्रभु श्रीराम से यह वचन लिया कि हनुमान को मृत्युदंड देने का वचन लिया
श्री राम को हनुमान अत्यंत प्रेम करते थे लेकिन विश्वमित्र प्रभु श्री राम के गुरु थे और इसीलिए प्रभु श्री राम ने हनुमान को मृत्युदंड देने का वचन ले लिया हनुमान जी को जब यह समझ आया कि प्रभु श्रीराम मुझे मारने आ रहे हैं तो उन्हें कुछ भी समझ नहीं आया कि उनके साथ ऐसा क्या हो रहा है तभी देव ऋषि नारद ने उनसे राम-राम जपने का सुझाव दिया और फिर देव ऋषि नारद वहां से चले गए संकट मोचन हनुमान एक वृक्ष के नीचे बैठकर जय श्री राम जय श्री राम का जाप करने लगे श्री राम का धुन लगते ही हनुमान जी जय श्री राम जय श्री राम के ध्यान में लीन हो गए ।
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श्रीराम वहां पर आते ही संकट मोचन हनुमान जी के ऊपर बाणों की वर्षा करने लगे परंतु ध्यान में बैठे हनुमान जी का बाल भी बांका ना हो सका जब प्रभु श्री राम ने देखा तो वह असमंजस की स्थिति में पड़ गए प्रभु श्री राम ने अपने मन ही मन में कहा जो भक्तों से मेरा नाम जप रहा है उसका मैं तो क्या कोई भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है अपने तीर को विफल होता देख करके प्रभु श्री राम ने कई और अस्त्रों से हनुमान जी के ऊपर प्रहार किया पर संकट मोचन हनुमान के सामने सब कुछ विफल हो गया ।
परंतु प्रभु श्री राम को अपने वचनों का पालन करना था तभी प्रभु श्री राम ने ब्रह्मास्त्र से हनुमान जी के ऊपर प्रहार किया परंतु राम-राम नाम ध्यान मैं बैठे हनुमान जी के ऊपर ब्रह्मास्त्र का भी कोई असर नहीं हुआ पृथ्वी पर संकट आता हुआ देख कर के देव ऋषि नारद विश्वमित्र के पास गए देव ऋषि नारद को आता देख कर के विश्वमित्र ने उनका स्वागत किया तभी नारद जी ने विश्वमित्र को सारी सच्चाई बता दी नारद जी की बात सुनकर के विश्वमित्र ने प्रभु श्री राम को अपने दिए हुए वचनों से मुक्त कर दिया देव ऋषि नारद ने यह भी सिद्ध कर दिया कि राम-राम नाम स्वयं प्रभु श्री राम से भी ज्यादा शक्तिशाली है ।
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