रामायण के 11 अद्भुत रहस्य जिन्हें शायद आप नहीं जानते हैं

रामायण का हिंदू धर्म में एक विशिष्ट स्थान है मनुष्य जाति के जीवन और उनके कर्मों का विशेष प्रकार से रामायण में विवरण दिया गया है

रामायण-के-अद्भुत-रहस्य.webp

इसमें भगवान राम और माता सीता के जन्म एवं जीवन यात्रा का वर्णन है हम में से अधिकांश लोगों को रामायण की कहानी पता है लेकिन इस महाकाव्य से जुड़े कुछ ऐसे भी रहस्य हैं जिनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है आज हम आपके सामने रामायण से जुड़े ऐसे ही 13 रहस्यों को उजागर करेंगे ऐसा माना जाता है कि मूल रामायण की रचना ऋषि बाल्मीकि द्वारा की गई थी लेकिन कई अन्य संतों और वेद पंडितों जैसे तुलसीदास संत एकनाथ इत्यादि ने भी इसके अन्य संस्करणों की भी रचना की है हल्की प्रतीक संस्करण में अलग अलग तरीके से कहानी का वर्णन किया गया है लेकिन मूल रूप रेखा एक ही है  

रामायण के श्लोक के पहले अक्षर से बनता है गायत्री मंत्र

नंबर 1 = रामायण के हर एक हजार श्लोक के बाद आने वाले पहले अक्षर से गायत्री मंत्र बनता है गायत्री मंत्र में 24 अक्षर होते हैं और वाल्मीकि रामायण में 24000 श्लोक है रामायण के 1000 सालों के बाद आने वाले पहले अक्षर से गायत्री मंत्र बनता है यह मंत्र इस पवित्र महाकाव्य का सार है गायत्री मंत्र को सर्वप्रथम ऋग्वेद में उल्लिखित किया गया था मंत्र को सर्वप्रथम ऋग्वेद में उल्लिखित किया गया था 

राम और उनके भाइयों की एक बहन भी थी

नंबर 2 = राम और उनके भाइयों की एक बहन भी थी श्री राम के माता-पिता एवं भाइयों के बारे में तो प्राय सभी जानते हैं लेकिन बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि राम की एक बहन भी थी जिनका नाम शांता था वह आयु में चारों भाइयों से काफी बड़ी थी उनकी माता कौशल्या थी ऐसी मान्यता है कि एक बार अंग देश के राजा राजाराम पद और उनकी रानी वर्षणी अयोध्या आए हुए थे उनको कोई संतान नहीं थी बातचीत के दौरान राजा दशरथ को जब यह बात मालूम हुई तो उन्होंने कहा मैं अपनी बेटी शांता आपको संतान के रूप में दूंगा यह सुनकर राजाराम पद और वर्षणी बहुत खुश हुए उन्होंने बहुत ही लाड प्यार से शांता का पालन पोषण किया और माता-पिता के सभी कर्तव्य निभाएं

श्री राम के भाई किसके अवतार थे

नंबर 3 = राम विष्णु के अवतार हैं लेकिन उनके अन्य भाई किसके अवतार थे राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है लेकिन क्या आपको पता है कि उनके अन्य भाई किसके अवतार थे लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार माना जाता है जो शिव सागर में भगवान विष्णु का आसन है जबकि भरत और शत्रुघ्न को क्रमशः भगवान विष्णु द्वारा हाथों में धारण किए गए सुदर्शन चक्र और शंखशैल्य का अवतार माना जाता है 

भगवान शिव के धनुष का नाम क्या था

नंबर 4 = सीता के स्वयंवर में प्रयोग हुए भगवान शिव के धनुष का नाम क्या था बहुत ही कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि राम का सीता से विवाह एक स्वयंवर के माध्यम से हुआ था उस स्वयंवर के लिए भगवान शिव के धनुष का इस्तेमाल किया गया था जिस पर सभी राजकुमारों को प्रत्यंचा चढ़ाने थी लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि भगवान शिव के धनुष का नाम पिनाक था 

14 वर्ष तक जागते रहे लक्ष्मण

नंबर 5 = 14 वर्षों तक जागते रहे लक्ष्मण ऐसा माना जाता है कि वनवास के 14 वर्षों के दौरान अपने भाई और भाभी की रक्षा करने के उद्देश्य से लक्ष्मण कभी सोते नहीं थे इसी कारण उन्हें गुदा केस के नाम से भी जाना जाता है वनवास कि पहली रात को जब राम और सीता सो रहे थे तो निद्रा देवी लक्ष्मण के सामने प्रकट हुई उस समय लक्ष्मण ने अनुरोध किया कि उन्हें ऐसा वरदान दें कि वनवास के 14 वर्षों के दौरान उन्हें नींद ना आए और वह अपने भाई और भाभी की रक्षा कर सकें निद्रा देवी इस बात पर प्रसन्न होकर बोली की अगर तुम्हारे बदले कोई 14 वर्षों तक सोए तो तुम्हें यह वरदान प्राप्त हो सकता है इसके बाद लक्ष्मण की प्रार्थना पर निद्रा देवी लक्ष्मण की पत्नी और सीता की बहन उर्मिला के पास पहुंची  उर्मिला ने लक्ष्मण के बदले सोना स्वीकार कर लिया और पूरे 14 वर्षों तक सोती रही

राम , सीता और लक्ष्मण किस जंगल में रुके थे

नंबर 6 = उस जंगल का नाम जहां राम लक्ष्मण और सीता वनवास के दौरान रुके थे हम में से अधिकांश लोगों को पता है कि राम लक्ष्मण और सीता ने कई साल भर में बताए थे लेकिन कुछ ही लोगों को उस वन के नाम की जानकारी होगी उस वन का नाम दंडकारण्य था जिसमें राम सीता और लक्ष्मण ने अपना वनवास बताया था यह 1 लगभग 35600 वर्ग मील में फैला हुआ था जिसमें वर्तमान छत्तीसगढ़ उड़ीसा महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में शामिल थे उस समय माना जाता था इसीलिए इसका नाम दंडकारण्य था जहां दंड का अर्थ सजा देना अरण्य का अर्थ 1 होता है 

"लक्ष्मण रेखा" का वर्णन वाल्मीकि रामायण में नहीं है

नंबर 7  = लक्ष्मण रेखा का वर्णन वाल्मीकि रामायण में नहीं है पूरी रामायण की कहानी में सबसे पेचीदा प्रकरण लक्ष्मण रेखा की घटना है जिसमें लक्ष्मण वन में झोपड़ी के चारों ओर एक रेखा खींचते हैं जब सीता के अनुरोध पर राम स्वर्ण हिरण को पकड़ने और मारने की कोशिश करते हैं तो वह हिरण राक्षस मारीच का रूप ले लेता है इस घटना के संबंध में अज्ञात तथ्य यह है कि इस कहानी का वर्णन वाल्मीकि रामायण में है और ना ही रामचरितमानस में लेकिन रामचरितमानस के लंका कांड में इस बात का उल्लेख रावण की पत्नी मंदोदरी द्वारा किया गया है

रावण एक वीणा वादक भी था

नंबर 8 = रावण एक उत्कृष्ट वीणा वादक था इस बात की पुख्ता जानकारी है कि रावण एक बहुत ही बड़ा विद्वान था और उसने वेदों का भी अध्ययन किया था लेकिन क्या आपको पता है कि रावण के ध्वज में एक प्रतीक के रूप वीणा होने का कारण क्या था जो कि रावण एक उत्कृष्ट वीणा वादक था जिसके कारण उसके ध्वज में प्रतीक के रूप में वीणा अंकित थी हालांकि रावण इस कला को ज्यादा तवज्जो नहीं देता था लेकिन उसे यह वाद्य यंत्र बजाना बहुत पसंद था

 नंबर 9 = आखिर कुंभकरण 6 महीने तक क्यों सोता था रामायण में वर्णित है कि कुंभकरण लगातार छह महीनों तक सोता था वह सिर्फ 1 दिन खाने के लिए उठता और पुनः छह महीनों के लिए सो जाता था लेकिन क्या आपको पता है कि कुंभकरण को सोने की आदत कैसे लगी एक बार एक यज्ञ की समाप्ति पर ब्रह्मा कुंभकरण के सामने प्रकट हुए और उन्होंने कुंभकरण से वरदान मांगने को कहा यह देखकर इंद्र को डर सताने लगा कहीं कुंभकरण वरदान में इंद्रासन ना मांग ले इसलिए उन्होंने देवी सरस्वती से अनुरोध किया की जीभा पर बैठ जाए जिससे वह इंद्रासन के बदले निद्रासन मांग ले इस प्रकार इंद्र की इच्छा की वजह से कुंभकरण को सोने का वरदान प्राप्त हुआ  

नासा ने भी स्वीकारा रामसेतु का अस्तित्व

नंबर 10 = नासा ने भी स्वीकारा रामसेतु के अस्तित्व को रामायण की कहानी के अंतिम चरण में वर्णित है कि राम और लक्ष्मण ने वानर सेना की मदद से लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए एक पुल का निर्माण किया था ऐसा माना जाता है कि यह कहानी लगभग 1750000 साल पहले की है हाल ही में नासा ने श्रीलंका और भारत को जोड़ने वाले एक प्राचीन मानव निर्मित पुल की खोज की है और शोधकर्ताओं और पुरातत्व के अनुसार इस पुल के निर्माण की अवधि भी रामायण महाकाव्य में वर्णित पुल के निर्माण काल से मिलती है नासा के उपग्रह द्वारा खोजे गए पुल को ऐडम्स ब्रिज कहा जाता है और इसकी लंबाई लगभग 30 किलोमीटर है

श्री राम ने लक्ष्मण को मृत्युदंड क्यों दिया था

नंबर 11 आखिर क्यों राम ने लक्ष्मण को मृत्युदंड दिया रामायण में वर्णित है कि श्रीराम ने ना चाहते हुए भी जी जान से प्यारे अपने छोटे भाई लक्ष्मण को मृत्युदंड दे दिया था आखिर क्यों भगवान राम ने लक्ष्मण को मृत्युदंड दिया था यह घटना उस वक्त की है जब श्री राम लंका विजय के बाद अयोध्या लौट आए थे और अयोध्या के राजा बन गए थे 

एक दिन यम देवता को कोई महत्वपूर्ण चर्चा करने के लिए श्री राम के पास आना था चर्चा आरंभ करने से पूर्व उन्होंने भगवान राम से कहा कि आप मुझे वचन दें कि जब तक मेरे और आपके बीच वार्तालाप होगा हमारे बीच कोई नहीं आएगा और जो आएगा उसे आप मृत्यु दंड देंगे इसके बाद राम लक्ष्मण को यह कहते हुए द्वारपाल नियुक्त कर देते हैं कि जब तक उनकी और यम की बात हो रही है वह किसी को भी अंदर ना आने दे अन्यथा वे उसे मृत्युदंड दे देंगे

लक्ष्मण भाई की आज्ञा मानकर द्वारपाल बनकर खड़े हो गए लक्ष्मण को द्वारपाल बने कुछ ही समय बीतने के बाद वहां पर ऋषि दुर्वासा का आगमन होता है जब दुर्वासा ने लक्ष्मण से अपने आगमन के बारे में राम को सूचित करने के लिए कहा तो लक्ष्मण ने विनम्रता के साथ मना कर दिया इस पर दुर्वासा क्रोधित हो गए तथा उन्होंने संपूर्ण अयोध्या को श्राप देने की बात कही

लक्ष्मण ने शीघ्र ही यह निश्चय कर लिया कि उनको स्वयं का बलिदान देना होगा ताकि वह नगर वासियों को ऋषि के श्राप से बचा सके और उन्होंने भीतर जाकर ऋषि दुर्वासा के आगमन की सूचना श्री राम को दे दी अब श्री राम दुविधा में पड़ गए क्योंकि उन्हें अपने वचन के अनुसार लक्ष्मण को मृत्युदंड देना था इस दुविधा की स्थिति में श्री राम ने अपने गुरु वशिष्ठ का स्मरण किया और कोई रास्ता दिखाने को कहा

गुरुदेव ने कहा कि अपने किसी प्रिय वस्तु का त्याग उसकी मृत्यु के समान ही है अतः तुम अपने वचन का पालन करने के लिए लक्ष्मण का क्या कर दो लेकिन जैसे ही लक्ष्मण ने यह सुना तो उन्होंने राम से कहा कि आप भूल कर भी मेरा त्याग नहीं करना आपसे दूर रहने से तो यह अच्छा है कि मैं अपने वचन का पालन करते हुए मृत्यु को गले लगा लूं ऐसा कहकर लक्ष्मण ने जल समाधि ले ली

Post a Comment

0 Comments