भाइयों में प्यार की कहानियां अक्सर सुनने को मिलती है परंतु नाग और गरुड़ दो भाइयों में प्यार के स्थान पर नफरत की कहानी कुछ विशेष है
दुश्मनी भी इतनी कि दोनों भाई एक दूसरे के खून के प्यासे मर गए आखिर क्या था वह करना कि दो भाइयों नाग और गरुड़ के मनो में आपस में नफरत की आग पैदा हो गई नाग और गरुड़ का कैसे हुआ जन्म? कहा जाता है कि ऋषि कश्यप की 13 पत्नियां थी लेकिन महा ऋषि कश्यप को कद्रु और विनीता से विशेष लगाव था 1 दिन महर्षि कश्यप बेहद प्रसन्न मुद्रा में विश्राम कर रहे थे
महा ऋषि को अत्यंत प्रसन्न जान कर कद्रु और विनीता दोनों पत्नियों ने ऋषि कश्यप की सेवा करनी शुरू कर दी उनके सेवा भाव से प्रसन्न होकरमहा ऋषि कश्यप ने कहा कि बताओ क्या चाहते हो तो कद्रु ने महा ऋषि से 1000 पुत्रों की माता बनने का वरदान मांगा परंतु विनीता ने कहा कि मुझे केवल एक पुत्र की चाहत है
परंतु वह कद्रु के एक हजार पुत्रों से अधिक बलशाली हो दोनों की इच्छाओं को सुनकर महा ऋषि कश्यप ने कहा कि वह शीघ्र ही एक यज्ञ करने जा रहे हैं इस यज्ञ के बाद तुम दोनों को की इच्छाएं पूरी हो जाएंगी यज्ञ के बाद कद्र ने एक हजार अंडे और विनीता ने दो अंडे दिए
कुछ दिन कुछ दिनों के बाद जब कद्रु अपने अंडे को फोड़ा तो उसमें से काले नाग निकले कद्रु अपने पुत्रों को देखकर बेहद प्रसन्न हो गई कद्रु ने विनीता से पूछा कि मेरे बच्चे कैसे हैं तो विनीता ने बच्चों को देखकर अपनी खुशी का इजहार किया तभी विनीता ने भी अपने एक अंडे को फोड़ डाला
अंडे में से एक अविकसित बच्चा अरुण बाहर आया अरुण ने अंडे से बाहर आते ही कहा कि तुमने अंडा फोड़ने में बहुत ही अधिक उतावलापन दिखाया इसके दंड स्वरूप आपको कद्रु की दासी बनकर रहना पड़ेगा अब यदि आपने दूसरे अंडे निर्धारित समय से पहले फोड़ दिया तो यह दास्तां सारी आयु की हो जाएगी
इसलिए आप इसीलिए आप इस अंडे को अपने आप ही फूटने देना इस अंडे से उत्पन्न बालक ही आपको दासी के इस चक्र से मुक्त करवाएगा निर्धारित समय से अंडा फूटा तो उसमें से गरुड़ निकला
विनीता कैसे बनी कद्रु की दासी?
1 दिन की बात है की कद्रु और विनीता सैर करने के लिए निकली शहर के दौरान दोनों की नजर एक उच्चै श्रवा नामक घोड़े पर पड़ी शाम का समय था घोड़ा काफी दूरी से जा रहा था
तभी विनीता ने कदमों से कहा कि देखो सफेद घोड़ा जो सर से लेकर पूछ तक पूरा सफेद है तब कद्रु ने कहा कि आपने ध्यान से नहीं देखा कि घोड़े की पूंछ काली है
इस बात पर दोनों में झगड़ा बढ़ गया दोनों में शर्त लगी कि जिस की बात ही गलत होगी वह दूसरे की दासी बनेगी आखिरकार इस झगड़े का समाधान पूरे दिन पर रखा गया
रात को कद्रु ने अपने बच्चों से कहा कि वह सभी घोड़े की पूंछ से लिपट जाए ताकि पूछ काली दिखे कद्रु ने ऐसा ही किया इस पर विनीता ने छल से शर्त हार गई और उन्हें कद्रु की दासी बनना पड़ा
अपनी माता को दासता से मुक्त करवाने पहुंचे गरुड़
अपनी माता विनीता के छल से दासी बनने पर गरुड़ कद्रु के पास पहुंचे और अपनी माता को दासता से मुक्त करने की प्रार्थना की परंतु कद्रु ने गरुड़ से विनीता को मुक्त करने के लिए स्वर्ग लोक से अमृत कलश लाने की शर्त रख दी
गरुण अपनी माता विनीता को मुक्त करवाने के लिए स्वर्ग लोक से अमृत कलश लाने पहुंच गए वहां पर उन्होंने अमृत कलश की सुरक्षा में देव व सुदर्शन चक्र देखा
तब उन्होंने अपने आकार को छोटा कर अमृत कलश को चुरा लिया जब देवराज इंद्र को यह सारी घटना का पता चला तो उन्होंने गरुड़ पर वज्र का प्रहार किया परंतु गरुड़ को वज्र पर किसी भी तरह की क्षति नहीं पहुंची
तब देवराज इंद्र ने गरुड़ से दोस्ती करने में ही अपना हित सोचा तब देवराज इंद्र ने गरुड़ से अमृत कलश चुराने का पूछा उद्देश्य पूछा गरुड़ ने सारी घटना से देवराज इंद्र को अवगत करवा दिया
तब देवराज इंद्र गरुड़ से कहा कि तुम कलश ले जाओ पर कद्रु से सुबह तक अमृत ना पीने की शर्त रखना वह रात के समय कलश को वहां से हटा देंगे तुम कल इसे लेकर अपनी माता को मुक्त करवा लेना
कद्रु ने गरुड़ की शर्त को स्वीकार कर कलश ले लिया गरुड़ ने देवराज इंद्र की बात कर स्वीकार कर वचन निभाया वही देवराज इंद्र ने मौका देखकर अमृत कलश को वहां से हटा लिया
वचन निभाने पर देवराज इंद्र ने गरुड़ को अमृता का वरदान दिया सुबह जब कद्रु और उनके 1000 बेटे आए अमृत कलश में से अमृत पीने पहुंचे तो वहां पर कलश ना पाकर वहां की घास को ही चाटने लग गए
कुषा को चाटने की वजह से उनकी जीभ दो हिस्सों में विभाजित हो गई और तभी गरुड़ ने मौका देखकर सभी नागों को खा लिया क्योंकि इन नागों के कारण ही उसकी माता विनीता को दासता की मिली थी इसीलिए आज भी नाग और गरुड़ में दुश्मनी साफ तौर से देखी जा सकती है
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